केंद्र सरकार की पीएम किसान सम्मान निधि योजना और राज्य सरकार की राशन गेहूं वितरण योजनाओं से जुड़े हजारों किसानों पर नई नीति का सीधा असर पड़ने वाला है। जिन किसानों के नाम पर 2.47 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि दर्ज है, उन्हें अब इन योजनाओं की पात्र सूची से बाहर किया जाएगा। सरकार का मानना है कि अधिक जोत वाले किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम माना जाएगा, इसलिए उन्हें गरीब वर्ग की योजनाओं का लाभ देना उचित नहीं है।
अधिक जोत वाले किसान अब नहीं माने जाएंगे गरीब वर्ग
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि अधिक भूमि रखने वाले किसानों को अब गरीब श्रेणी की जगह आर्थिक रूप से सक्षम श्रेणी में जोड़ा जाएगा। इसके बाद वे सरकारी गेहूं वितरण, खाद्यान्न संबंधित लाभ और कई अन्य राहत योजनाओं से वंचित हो जाएंगे। यह बदलाव उन किसानों के लिए महत्वपूर्ण है जो वर्षों से इन योजनाओं के तहत गेहूं और अन्य लाभ प्राप्त कर रहे थे।
भूमि रिकॉर्ड के आधार पर अंतिम चरण की जांच जारी
राजस्व विभाग के भूमि रिकॉर्ड के अनुसार जिन किसानों के नाम पर 2.47 हेक्टेयर से अधिक भूमि है, उन्हें पात्र सूची से हटाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। राज्य स्तर पर निगरानी बढ़ा दी गई है ताकि किसी भी पात्र किसान को गलती से बाहर न किया जाए। भूमि पहचान डेटा के विश्लेषण में कई क्षेत्रों में गलत जानकारी और बड़ी जोत का मामला सामने आया था, जिसके बाद सरकार ने यह सुधारात्मक कदम उठाया है।
छोटे और सीमांत किसानों पर नहीं पड़ेगा असर
कृषि विभाग ने साफ किया है कि यह कार्रवाई केवल उन किसानों पर प्रभाव डालेगी, जिनके पास निर्धारित सीमा से ज्यादा कृषि भूमि है। छोटे और सीमांत किसानों को नियमित रूप से सभी सरकारी लाभ मिलते रहेंगे। विभाग के मुताबिक गरीब किसानों की पहचान सही रूप से सुनिश्चित करना इस पूरी प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य है।
नियमों में बदलाव से लाभार्थियों की संख्या होगी नियंत्रित
सरकार का कहना है कि नए नियम लागू होने से योजनाओं में पारदर्शिता बढ़ेगी और लाभ केवल वास्तविक पात्र किसानों तक पहुंचेगा। जिन किसानों के पास अधिक भूमि है, उन्हें अब आर्थिक रूप से सक्षम माना जाएगा और वे गरीब वर्ग की सरकारी गेहूं तथा अन्य राहत योजनाओं से स्वतः अपात्र हो जाएंगे।
